तिरुपति के लड्डू बनाने में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवरों की चर्बी की कथित मौजूदगी को लेकर चल रहे विवाद के बीच ओडिशा सरकार ने पुरी जगन्नाथ मंदिर में इस्तेमाल होने वाले घी को गुणवत्ता परीक्षण के लिए भेजने का फैसला किया है।
पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने मंगलवार को कहा कि इस कदम का उद्देश्य 12वीं सदी के इस मंदिर में देवताओं को चढ़ावे में मिलावट को रोकना है।यह फैसला पुरी के एक वकील दिलीप बराल द्वारा कलेक्टर को दी गई एक अर्जी के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने मंदिर की रसोई में 'महाप्रसाद' तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले घी सहित अन्य सामग्री की उचित जांच का सुझाव दिया था.
स्वैन ने कहा कि हालांकि तिरुपति लड्डू विवाद की पृष्ठभूमि में घी की गुणवत्ता के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन प्रशासन ने इसकी जांच कराने का फैसला किया है।
सरकारी स्वामित्व वाला ओडिशा राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादक महासंघ (ओएमएफईडी) पिछले कुछ वर्षों से मंदिर में घी की आपूर्ति कर रहा है। रोजाना महाप्रसाद तैयार करने वाले सेवादारों के संगठन स्वार महासुआ निजोग के सूत्रों के मुताबिक, ओमफैड से हर महीने करीब 700 रुपये प्रति लीटर की दर से करीब 6,000 लीटर घी खरीदा जाता है।स्वैन ने कहा कि खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारियों को मंदिर में इस्तेमाल होने वाले घी और अन्य कच्चे माल की जांच के लिए पहले ही सूचित कर दिया गया है।