केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि रिकार्ड से यह स्पष्ट है कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के कई मामलों में सुनवाई इस तरह से की गयी कि परिणामस्वरूप आरोपियों को दोषी ठहराने के बजाय बरी कर दिया गया।
केंद्र और दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ को बताया कि उन्होंने आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर की थी लेकिन देरी के आधार पर उन्हें खारिज कर दिया गया।