'वन नेशन, वन इलेक्शन' को पेश करने पर लोकसभा में वोटिंग


कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए 'संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024' लोकसभा में पेश हो गया है. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव रखा है.संसद में आज वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रावधान करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश हो गया है. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल 'संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024' लोकसभा में पेश किया. वहीं, राज्यसभा में आज भी संविधान पर चर्चा जारी है. बीजेपी ने लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों के अपने सदस्यों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है.कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कुछ सदस्यों ने बिल के इंट्रोडक्शन पर आपत्ति की है जो ज्यादातर लेजिस्लेटिव पर ही है. एक विषय आया कि आर्टिकल 368 का ये उल्लंघन करता है. ये आर्टिकल संविधान में संशोधन की प्रक्रिया बताता है और संसद को शक्ति देता है. एक विषय आया अनुच्छेद 327 सदन को विधानमंडलों के संबंध में चुनाव के प्रावधान का अधिकार देता है. इसमें कहा गया है कि संविधान के प्रावधान के तहत विधानमंडल के किसी भी चुनाव के संबंध में प्रावधान कर सकती है. ये संवैधानिक है. सभी आवश्यक मामले इसमें शामिल हैं. अनुच्छेद 83 सदनों की अवधि और राज्यों के विधानमंडल के चुनाव की अवधि को पुनर्निधारित किया जा सकता है. संविधा के सातवें अनुच्छेद के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि ये केंद्र को शक्ति प्रदान करता है. ये संविधान सम्मत संशोधन है. सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती केस में फेडरल स्ट्रक्चर पर बात की है.कुछ बिंदु बाद में भी जोड़े हैं. इस बिल में इस पर कुछ भी आघात नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती के साथ साथ और सब्जेक्ट भी जोड़े हैं लेकिन इससे न तो संविधान और ना ही विधानसभा की शक्ति में कोई कमी आ रही है. बाबा साहब पहले कानून मंत्री थे, जिस वर्ग से वे आते थे, उसी वर्ग से मैं भी आता हूं. संविधान सभा में बहस के दौरान 4 नवंबर 1948 को बाबा साहब ने कहा था- संघवाद का मूल सिद्धांत ये है कि केंद्र और राज्य की सत्ता बनाए हुए किसी नियम नहीं, संविधान के जरिये जुड़ी होती है. भारती संघ राज्यों के बीच किसी समझौते का आधार नहीं है. फेडरल अविनाशी है और इसे कोई नहीं बदल सकता. संविधान के अनुच्छेद 27 के तहत संसद को संशोधन का अधिकार है. हमने जो आर्टिकल जोड़े हैं, उसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी का धन्यवाद करना चाहूंगा. 1983 से चुनाव आयोग ने चुनाव साथ कराने का विचार किया, 41 साल से पेंडिंग है ये. सर्वदलीय बैठक हुई थी, 19 दलों ने भाग लिया. 16 ने समर्थन किया और तीन ने विरोध किया. पीएम ने 26 नवंबर 2020 को केवड़िया गुजरात में एक साथ चुनाव की बात की, सभी पीठासीन अधिकारी सहमत थे. जेपीसी पर आ रहा हूं, उससे पहले एक बात कहना चाहूंगा. 41 साल से जो मामला पेंडिंग था, किसी ने ध्यान नहीं दिया. पीएम मोदी ने ध्यान दिया. जो निर्णय लेता है सदा, देशहित की खातिर...जो नेता दूरदर्शी होता है, वही इतिहास बनाता है. कानून मंत्री ने बिल को जेपीसी में भेजने का प्रस्ताव किया. इस बिल को सदन में पेश किया गया. ध्वनिमत के बाद विपक्ष ने इस पर डिवीजन की मांग की. डिवीजन हो रहा है.स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि पहले भी सारी व्यस्था दे दी है. पुरानी परंपरा भी बता दी है. मंत्रीजी ने भी कह दिया है कि जेपीसी गठित होगी. जेपीसी के समय व्यापक चर्चा होगी और सब दल के सदस्य होंगे. जब बिल आएगा तो सबको पूरा समय दिया जाएगा और डिटेल चर्चा होगी. जितने दिन आप चर्चा चाहेंगे, उतने दिन का समय दिया जाएगा.वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को चर्चा और पारित किए जाने को लेकर मतदान हो रहा है. पहली बार लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक डिवीजन होगा. स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आपको प्रक्रिया भी बताई जाएगी. सेक्रेटरी जनरल आपको पूरी व्यवस्था बताएंगे और ये भी बताएंगे कि अगर गलती से गलत बटन दब गया है तो आप पर्ची से अपना मत दोबारा करेक्ट कर सकते हैं. लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल ने इसके बाद सदस्यों को पूरी प्रक्रिया बताई. स्पीकर ने कहा कि नई संसद में पहली बार मतदान हो रहा है, ऐसे में इसमें कुछ समस्याएं आ सकती हैं. हम संशोधन भी एलाऊ करेंगे.लोकसभा में वन नेशन, वन इलेक्शन बिल प्रतिस्थापित करने को लेकर मतदान शुरू हो गया है. इस बिल के पक्ष में कुल 220 और विपक्ष में 149 वोट पड़े. कुल 369 सदस्यों ने वोट डाला है. इसके बाद विपक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उनको ऑब्जेक्शन है तो पर्ची दे दीजिए. इस पर स्पीकर ने कहा कि हमने पहले ही कहा था कि अगर किसी सदस्य को लगे तो वह पर्ची के माध्यम से भी अपना वोट संशोधित कर सकता है.

 

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